Monday, July 27, 2009

युवा वर्ग क्या,कब और क्यों नही कर सकता ?

युवा वर्ग क्या,कब और क्यों नही कर सकता ?
नौजवानो कर्नाधरों के सांसो की आहट, उसके रवों में बहकता स्पुर्तिद्त व धड़कता रक्त,जोशीला मनोबल, उसके जुवानों की वो वोत्सुकता, उसके पगों की तत्परता, दिमांग की चंचलता के सफ़र की अदा ही कुछ अनौखी होती हैं।
उसके कदमों की आहोटों, दिमांग की चंचलता, जुवानों की उत्सुकता पर अटकले लगाना असम्बवाप्रतीत है कि वह क्या कर सकता है क्या नही। सिर्फ़ जरुरी है तो सोये हुए शेरों को जगाने की।
असंभव को संभव बनाने वाला, स्वतंत्र विचारों की दुनिया की सरपट लेता हुआ, देर रातों तक सपने हुआ। कुछ दिखाने की ललक रखने वाला, अपनी शक्ति की भनक से परे ये नोजवान क्यों, कब, कैसे और क्या कुछ नहीं कर सकता? मात्र कमी है तो उसके विश्वास की, उसको जगाने की, दिशा निर्देशन की, उसको जगाने की, कमी है तो उनके जज्बातों के परख की।

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